केंद्र ने लिया बीआर ambedkar जयंती को पब्लिक हॉलिडे घोषित करने का फैसला, जारी किया मेमोरेंडम

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 केंद्र ने लिया बीआर आंबेडकर जयंती को पब्लिक हॉलिडे घोषित करने का फैसला, जारी किया मेमोरेंडम

केंद्र ने लिया बीआर आंबेडकर जयंती को पब्लिक हॉलिडे घोषित करने का फैसला

केंद्रीय सरकार (Central Government) ने 14 अप्रैल (14 April) को पब्लिक हॉलिडे घोषित करने का फैसला किया है.दरअसल 14 अप्रैल को बीआर आंबेडकर का जन्मदिन है. ऐसे में केंद्र ने इस खास दिन को पब्लिक हॉलिडे के तौर घोषित करने का फैसला किया है. इसके तहत सभी केंद्रीय कार्यालयों की छुट्टी रहेगी.

सरकार के इस फैसले को लेकर सभी मंत्रालयों को एक मेमोरेंडम जारी किया गया है जिसमें अपने-अपने विभागों को इस बारे में जानकारी देने के लिए कहा गया है.

बाबासाहेब डॉ भीमराव आंबेडकर का जन्म 14 अप्रैल 1891 को मध्य प्रांत (अब मध्यप्रदेश के महू) में हुआ. डॉ आंबेडकर के पिता रामजी सकपाल सेना में सूबेदार थे और मां भीमाबाई सकपाल गृहिणी थीं. साल 1897 में परिवार मध्य प्रांत से मुंबई चला गया, जहां आंबेडकर ने एलिफिंस्टन हाई स्कूल में प्रवेश लिया. मैट्रिक के बाद उन्होंने 1907 में एलिफिंस्टन कॉलेज में एडमिशन लिया. साल 1912 में बॉम्बे यूनिवर्सिटी से उन्होंने इकोनॉमिक्स और पॉलिटिकल साइंस में डिग्री ली.

साल 1913 में उन्हें तीन साल के लिए 11.50 पाउंड स्टर्लिंग प्रति माह की बड़ोदा स्टेट स्कॉलरशिप मिली थी. इस स्कॉलरशिप की मदद से वे अमेरिका की राजधानी न्यूयॉर्क स्थित कोलंबिया यूनिवर्सिटी में अध्ययन करने गए. साल 1915 में उन्होंने मुख्य विषय अर्थशास्त्र के साथ समाजशास्त्र, इतिहास, दर्शनशास्त्र और मानवशास्त्र के साथ एमए किया.

लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में उन्होंने 1921 में मास्टर डिग्री ली और 1923 में डीएसएसी की उपाधि ली. डबल डॉक्टरेट हो चुके आंबेडकर को साल 1952 कोलंबिया से साल 1953 में उस्मानिया से डॉक्टरेट की माानद उपाधि दी गई. यानी वे चार बार डॉक्टरेट की उपाधि हासिल करने वाले व्यक्ति बने. आंबेडकर न सिर्फ विदेश से इकोनॉमिक्स में पीएचडी करने वाले पहले भारतीय बने, बल्कि वे इकोनॉमिक्स में डबल डॉक्टोरेट करने वाले पूरे दक्षिण एशिया के पहले व्यक्ति बने.

नारी शिक्षा और अधिकारों के लिए, समाज सुधार के लिए, दलितों के उत्थान के लिए बाबा साहेब के योगदान को हमेशा याद किया जाता है. बाबा साहेब ने अन्य नेताओं के साथ मिलकर देश का संविधान तैयार किया. छह दिसंबर 1956 को दिल्ली में उनका निधन हो गया. आज महापरिनिर्वाण दिवस पर पूरा देश उन्हें याद कर रहा है.

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