स्थायी समिति सभापति सहित सभी सदस्य विवादों के घेरे में!
गौरतलब हो कि मानसून शुरू होने के पहले शहर के सड़को के गड्ढों को पाटने के लिए डांबरीकरण ’पाटोल’ का टेंडर प्रति वर्ष नियमानुसार निकाला जाता है| इस वर्ष मानसून जल्द शुरू हो जाने की वजह से शहर की सड़को पर बड़े-बड़े गड्ढो हो गए, गणेश उत्सव और चालिहा को देखते गड्ढों को भरने के लिए प्रशासन ने गुरुवार को स्थाई समिति में प्रभाग समिति एक में ७३ लाख ६५ हजार, प्रभाग समिति दो में १ करोड़ २२ लाख ९८ हजार, प्रभाग समिति तीन में १ करोड़ ९ लाख ४० हजार तथा प्रभाग समिति चार में १ करोड़ ५० लाख ३५ हजार ऐसे कुल ४ करोड़ ५६ लाख ४० हजार रुपये की लागत से भरे जाने वाले गड्ढों की निविदा को मंजूरी देने के लिए स्थाई समिति में भेजा था| प्रशासन द्वारा भेजी गई निविदा प्रक्रिया में समय लगता इसलिए ’पाटोल’ का ठेका लेने वाले ठेकेदारो को खुश कर उनसे बड़ा कमीशन लेने के चक्कर मे स्थाई समिति सदस्यों सहित सभापति ने प्रशासन के नियमो को ताक पर रख इस टेंडर को फाय-टू-टू ५(२)(२) के तहत मंजूरी दे दी| सूत्रों के मुताबिक यह टेंडर झा.पी.और जय भारत कंस्ट्रक्शन कंपनी को दिया गया है|
बता दे कि महानगर पालिका अधिनियम के तहत ५ लाख से २५ लाख के लागत से बनाए जाने वाले कार्यो को भी अति विकट परिस्थिति में ५(२)(२) के तहत प्रशासन की मंजूरी के बाद स्थाई समिति को देने का अधिकार है| इस विषय में आयुक्त राजेंद्र निंबालकर ने कहा कि ’पाटोल’ की निविदा निकालने के लिए स्थाई समिति में प्रस्ताव भेजा गया था| लेकिन सदस्यों ने महापालिका अधिनियमों को अनदेखा कर इसे अति विकट परिस्थिति ५(२)(२) में मंजूरी दी है, जो नियमानुसार गलत है| आयुक्त ने कहा कि इस टेंडर पर विचार करने के लिए अधिकारियों की बैठक बुलाई गई है| आयुक्त ने कहा कि अधिनियम में रहकर ’पाटोल’को मंजूरी दी जाएगी, ’पाटोल’ के इस टेंडर को लेकर प्रशासन द्वारा पल्ला झाड़ने से इसे मंजूरी देने वाली स्थाई समिति के सदस्यों सहित सभापति कांचन लुंड सकते में आ गयी है|