मुंबई: गुजरात के मोरबी (Morbi Bridge) में नदी के ऊपर बना केबल ब्रिज टूटा और 135 लोगों की मौत हो गई। दक्षिण कोरिया की राजधानी सियोल में एक पार्टी में भगदड़ हुई और 145 लोगों की मौत हो गई। इन दोनों हादसों में लोगों की भीड़ का जमा होना और प्रशासन द्वारा उसे नजरअंदाज करना साफ दिखाई देता है। बहरहाल, मुंबई (Mumbai) में भीड़ कहां नहीं दिखाई देती है। यहां भी अतीत में हादसे हुए हैं, जिनके बाद कई कड़े कदम उठाने की बातें हुईं, लेकिन कुछ दिनों की कार्रवाई के बाद सबकुछ पहले जैसा हो जाता है। पिछले दो दिनों से एनबीटी ने जिन स्थानों की पड़ताल की है, वहां प्रशासन की लापरवाही साफ नजर आ रही है। ऐसे में, सवाल यही है कि हादसा हुआ, तो जिम्मेदार कौन होगा?
भीड़ के बीच चल रहे हैं सिलिंडर
हादसा: सितंबर, 2017 में जुहू इलाके में एक निर्माणाधीन इमारत में सिलिंडर फटने से 7 लोगों की मौत हो गई थी। इस दुर्घटना के बाद भयंकर बवाल हुआ और बीएमसी ने पुलिस के साथ मिलकर सार्वजनिक स्थानों पर अवैध तरीके से सिलिंडर का इस्तेमाल करने वाले हॉकर्स पर कार्रवाई की। पुलिस ने करीब 124 शिकायतें दर्ज कीं, 22 हॉकर्स के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई। पूरे इलाके से 391 एलपीजी सिलिंडर सीज किए गए, जिनका अवैध तरीके से इस्तेमाल हो रहा था।
...और हकीकत: अब मुंबई में हर भीड़भाड़ वाली जगहों पर खाऊ गलियां हैं, जहां एलपीजी सिलिंडर्स का अवैध तरीके से धड़ल्ले से इस्तेमाल हो रहा है। शिकायतों के बावजूद कार्रवाई नहीं हो रही है। उदाहरण के तौर पर यह तस्वीर है मुंबई के भुलेश्वर इलाके की, जहां रोजाना हजारों लोगों का खरीदारी के लिए आना-जाना होता है। तस्वीर में दिखाई दे रहे फूड वेंडर्स सिलिंडर्स का इस्तेमाल करते हैं। ये इलाका सी वॉर्ड, वीपी रोड और एलटी मार्ग पुलिस के अधिकार क्षेत्र में आता है। ये तस्वीर ठीक उस फोफलवाडी इलाके के सामने की है, जहां 31 मई, 2001 में सिलिंडर फटा था और 24 लोगों की मौत हो गई थीं।
भगदड़ ने ली 23 लोगों की जान
हादसा: सितंबर, 2017 में एलफिंस्टन रोड स्टेशन (अब प्रभादेवी) के ब्रिज पर हजारों लोग जमा हो गए थे, क्योंकि अचानक बारिश होने लगी थी। भीड़ बढ़ने लगी और फिर भगदड़ हुई, जिसमें 23 लोगों की जान चली गई। रेलवे स्टेशन पर हुए इस भयानक हादसे के बाद सबक के तौर पर कई फैसले लिए गए। स्टेशनों पर भीड़ के हिसाब से पर्याप्त फुटओवर ब्रिज बनाने, मौजूदा ब्रिज को चौड़ा करने और प्रवेश-निकास द्वार को बाधा रहित करने का फैसला हुआ। पिछले पांच सालों में कई स्टेशनों पर हालात सुधरे भी हैं, लेकिन भीड़ वाले स्टेशनों पर अब भी बहुत कुछ करने की जरूरत है।
...और हकीकत: मध्य रेलवे पर भीड़ को नियंत्रित करने के लिए कल्याण, ठाणे और दादर स्टेशन के चुनिंदा प्लैटफॉर्म से स्टॉल्स और रेलवे के स्ट्रक्चर हटाने की योजना बन रही है। पश्चिम रेलवे के अंधेरी स्टेशन पर ही क्राउड कंट्रोल करने के लिए भीड़ वाले प्लैटफॉर्म से स्टॉल्स शिफ्ट किए गए थे। लेकिन सबसे ज्यादा भीड़ वाले स्टेशनों में से एक चर्चगेट स्टेशन के प्लैटफॉर्म क्रमांक 3-4 पर 3 नए स्टॉल बनाने के लिए प्लान तैयार हो गया है। वैसे, स्टेशनों पर भीड़ की बात करें, तो एक तस्वीर दादर स्टेशन के एफओबी की है जहां शाम के वक्त बेतहाशा भीड़ हो जाती है। ये एफओबी पश्चिम और मध्य रेलवे को जोड़ता है।
कोर्ट का फरमान, प्रशासन 'अनजान'
आदेश: एलफिंस्टन रोड स्टेशन पर हुए हादसे के बाद बॉम्बे हाई कोर्ट ने अपने 118 पन्नों का जजमेंट सुनाया, जिसमें रेलवे स्टेशनों फुटओवर ब्रिज से हॉकर्स हटाने, स्टेशनों के 100 मीटर दायरे, स्कूल और प्रमुख धार्मिक प्रतिष्ठानों के आसपास के क्षेत्र को हॉकर्स मुक्त करने का फैसला सुनाया था। इसके बाद बीएमसी अलर्ट हुई स्टेशनों के आसपास 100 मीटर दायरे पर चेतावनी देती हुई लकीरें भी खींची। कुछ दिनों तक कार्रवाई भी चली। इसके बाद सबकुछ पहले जैसा हो गया। कोरोना काल के बाद मुंबई में हॉकर्स की संख्या भी बढ़ गई, जिसे देखते हुए तत्कालीन पुलिस आयुक्त संजय पांडेय ने एक बार फिर बीएमसी के साथ मिलकर हॉकर्स पर ऐक्शन शुरू किया। ये ऐक्शन स्टेशनों के 100 मीटर दायरे में हुआ।
...और हकीकत: अब मुंबई के सभी स्टेशनों के बाद पहले के मुकाबले दोगुने हॉकर्स बढ़े हैं। सीएसएमटी स्टेशन के सामने बीएमसी का मुख्यालय है और इन दोनों प्रतिष्ठानों के 100 मीटर के दायरे में ही हजारों अवैध हॉकर्स मिल जाएंगे। ये तस्वीरें सीएसएमटी और बीएमसी के बाहर की स्थिति बयां कर रही हैं।