महाराष्ट्र में शिवसेना को लेकर उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे गुट आमने-सामने हैं। दोनों की लड़ाई के बीच, शनिवार को चुनाव आयोग ने शिवसेना के चुनाव चिह्न यानी तीर-कमान पर फिलहाल रोक लगा दी। मतलब आने वाले उपचुनाव में दोनों में से कोई भी गुट इस चुनाव चिह्न का उपयोग नहीं कर पाएगा। चुनाव आयोग ने दोनों गुटों से कहा कि वे उपचुनावों के लिए अधिसूचित फ्री सिंबल की लिस्ट से अलग-अलग चुनाव चिह्न चुनें और दस तारीख तक बता दें। मतलब कल तक दोनों गुटों को फ्री सिंबल का चयन करके चुनाव आयोग को सूचित करना होगा।
ऐसे में सवाल उठ रहा है कि आखिर दोनों गुट अब क्या करेंगे? कौन सा चुनाव चिह्न चुनेंगे और महाराष्ट्र की सियासत में आगे क्या होगा? आइए समझते हैं...
पहले उपचुनाव के बारे में जान लीजिए
दरअसल, तीन नवंबर को महाराष्ट्र के अंधेरी ईस्ट विधानसभा सीट पर उपचुनाव होने हैं। इस सीट से अब तक शिवसेना के रमेश लटके विधायक थे। रमेश अपने परिवार के साथ दुबई गए थे, जहां दिल का दौरा पड़ने के कारण 12 मई को उनका निधन हो गया।
चुनाव आयोग ने तीन नवंबर को यहां उपचुनाव कराने का फैसला लिया है। इसके लिए शिंदे गुट और भाजपा ने मिलकर यहां से पूर्व पार्षद मुरजी पटेल को अपना संयुक्त उम्मीदवार बनाया है। पटेल के सामने उद्धव गुट का उम्मीदवार भी होगा। उद्धव गुट को कांग्रेस, एनसीपी का भी समर्थन मिला है। उद्धव ठाकरे के हटने और शिंदे के मुख्यमंत्री बनने के बाद ये पहला चुनाव है। ऐसे में दोनों गुटों के लिए ये चुनाव किसी अग्नि परीक्षा से कम नहीं है।
चुनाव चिह्न को लेकर क्या है दोनों गुटों के पास विकल्प?
चुनाव चिह्न के मसले पर उद्धव ठाकरे गुट ने रविवार को बैठक बुलाई है। वहीं, शिंदे गुट भी चुनाव चिह्न को लेकर शाम तक कोई फैसला कर सकता है। दोनों गुटों के पास दो-दो विकल्प हैं।
1. फ्री सिंबल का चयन करेंगे : अभी के हालात देखकर लगता है कि दोनों गुट चुनाव आयोग की लिस्ट में शामिल फ्री सिंबल में से किसी एक का चयन करके चुनाव लड़ सकते हैं। सूत्रों के मुताबिक, ठाकरे गुट चुनाव आयोग से मशाल, उगता सूरज या तलवार वाला चुनाव चिन्ह मांग सकता है। ऐसा कयास है कि उद्धव ठाकरे चुनाव आयोग के इस अंतरिम फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का भी रुख कर सकते हैं।
2. गठबंधन वाली पार्टी के चिह्न पर लड़ सकते हैं चुनाव : अभी महाराष्ट्र में ठाकरे गुट ने कांग्रेस और एनसीपी के साथ गठबंधन किया है, वहीं शिंदे गुट ने भाजपा के साथ हाथ मिलाया है। ऐसे में संभव है कि दोनों गुट किसी नए चुनाव चिह्न की बजाय अपने गठबंधन वाली पार्टियों के चिह्न पर अपने उम्मीदवार उतार सकते हैं। मसलन, शिंदे गुट का प्रत्याशी भाजपा के चुनाव चिह्न कमल पर मैदान में उतर सकता है। इसी तरह, ठाकरे गुट का प्रत्याशी एनसीपी या फिर कांग्रेस के चुनाव चिह्न पर आ सकता है। हालांकि, इसकी संभावना काफी कम बताई जा रही है।
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