एम जे अकबर (MJ Akabar) के प्रिया रमानी के मी टू के आरोपों के खिलाफ मानहानि के मामले में राउज एवेन्यू कोर्ट ने फैसला सुना दिया है. कोर्ट ने इस मामले में महिला पत्रकार प्रिया रमानी को राहत देते हुए उन्हें बरी कर दिया है. प्रिया रमानी के खिलाफ एमजे अकबर की तरफ से दी गई मानहानि याचिका को कोर्ट ने खारिज कर दिया है.
सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि महिला को दशकों बाद भी शिकायत देने का हक है. कोर्ट ने प्रिया रमानी और गज़ाला वहाब की दलील को फैसले में पढ़ा जिसमें कहा गया कि अकबर के रुतबे के डर की वजह से प्रिया रमानी और गज़ाला वहाब ने भी वर्क प्लेस पर हरेंसमेट के खिलाफ कोई शिकायत नही दर्ज कराई, पीड़ित को कई साल तक यह नहीं पता था कि उसके साथ क्या हो रहा है.
कोर्ट ने आगे कहा, ‘महिला को अपने साथ हुए अपराध के बारे में कभी भी और कहीं भी अपनी बात रखने का अधिकार है, दशकों के बाद भी महिला अपने साथ हुए अपराध के खिलाफ आवाज उठा सकती है. महिला को यौन शोषण अपराध के खिलाफ आवाज उठाने पर सज़ा नही दी जा सकती है.’
पत्रकार प्रिया रमानी ने एमजे अकबर पर लगाए थे आरोप
साल 2018 में मीटू अभियान के दौरान पत्रकार प्रिया रमानी (Journalist Pria Ramani) ने पूर्व केंद्रीय राज्यमंत्री एमजे अकबर के खिलाफ शोषण का आरोप लगाया था. झूठे आरोपों का हवाला देकर इस मामले के बाद एमजे अकबर ने प्रिया रमानी के खिलाफ मानहानि का मामला दर्ज कराया था. मामले की सुनवाई पूरी होने के बाद राउज एवेन्यू कोर्ट ने इस मामले में फरवरी में फैसला सुरक्षित रख लिया था.
रमानी ने आरोप लगाया था कि करीब 20 साल पहले जब अंग्रेजी अखबार के अकबर संपादक थे तो उन्होंने इंटरव्यू के दौरान उनका शोषण किया था. आरोप लगने के बाद 17 अक्टूबर 2018 को अकबर ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था. जिसके बाद अकबर ने रमानी के खिलाफ छवि खराब करने और निराधार बेबुनियाद आरोप लगाने को लेकर 15 अक्टूबर, 2018 को मानहानि का मामला दर्ज कराया था.
मामले की सुनवाई के दौरान एमजे अकबर ने कोर्ट में कहा था कि 20 साल पहले लगाए गए आरोपों को प्रिया रमानी साबित नहीं कर सकी हैं. उन्होंने अपना बचाव करते हुए कहा था कि उनके खिलाफ आरोप झूठे हैं.