जिलाधिकारी महेंद्र कल्याणकर ने उल्हासनगर उपविभागीय अधिकारी को नकली सनद बनानेवाले भूमाफियाओ पर गुनहा दाखिल कराने का दिया आदेश
उल्हासनगर : पूरे भारतवर्ष में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भ्रष्टाचार के खिलाफ भाषण दे-देकर एक-एक राज्य में चुनाव जीतकर आ रहे हैं, आखिर क्यों? क्योंकि प्रधानमंत्री की स्वच्छ वाणी के चलते कई लोगों ने उन पर आस्था और विश्वास किया। मगर आज उसी साफ-सुथरी छवि पर दाग लगता नजर आ रहा है। वह भी ऐसा दाग जो कभी किसी ने सोचा भी नहीं था। दाग तो दाग है मगर दाग के साथ कई घोर-गरीब सिंधी समाज के लोगों को एक... बार फिर शरणार्थी बनकर बेघर होना पड़ेगा। वह भी कुछ भ्रष्ट अधिकारियों और भूमाफियाओं के लालच की वजह से। हम बात कर रहे हैं ऐसे दाग की, एक घोटाले की, वह भी महाघोटाला। जी हां महाघोटाला वो भी मोदी सरकार में महाराष्ट्र की देवेंद्र सरकार के उपर, लग रहे दाग का।उल्हासनगर में पिछले कई सालों से कॉन्वीनियस डीड (सी.डी.) के नाम पर जाली और नकली दस्तावेज बनाकर कई लोगों ने शासकीय तथा लावारिस भूखंडों को हड़पकर अपने और अपने चेले-चपाटों के नाम बनाकर मालिकाना हक दिखाकर वहां कई इमारतें तक बना डाली है, जहां आज के दिनों में उंची-उंची इमारतें बन गई है। मगर प्रशासन के कान में जूं तक नहीं रेंगी है। नाकाम प्रशासन अधिकारियों की गहरी नींद और लालच के चलते एक बार फिर सिंधी समुदाय के कई लोग बेघर होकर शरणार्थी बनने वाले हैं। ज्ञात हो कि कुछ महीने पहले ही हिंदमाता मिरर ने खबर प्रकाशित की थी कि कैसे कई अधिकारियों और भूमाफियाओं द्वारा जाली दस्तावेज बनाकर कई भूखंड हड़पकर इमारतें बना रहे हैं। मगर 2-2 साल बीतने पर भी कई समाजसेवियों के आवाज उठाने पर भी कोई कार्रवाई नहीं हुई। जांच के बहाने कभी इस विभाग, कभी उस विभाग पर आरोप-प्रत्यारोप लगाकर शिकायतों को इधर-उधर फेंका गया। मगर जब यह मामला कुछ दिनों से कई प्रमुख समाचार पत्रों में प्रमुखता से प्रकाशित हुआ तो ठाणे जिलाधिकारी महेंद्र कल्याणकर ने उल्हासनगर उप विभागीय अधिकारी जगतसिंह गिरसे को पिछले कुछ सालों में जो नकली दस्तावेज बनाकर अपने नाम करोड़ों के भूखंड करनेवाले 9 लोगों के खिलाफ 420, 467, 468 सहित कई धाराओं के तहत मामला दर्ज करने का आदेश दिया है।
मिली जानकारी के अनुसार, उल्हासनगर में एक प्रमुख भूमाफिया हैं जो लोगों को और प्रशासनिक अधिकारियों को भाजपा के एक पावरफुल नेता के नाम से डरा-धमकाकर अपने दस्तावेजों पर साइन कराकर तो कईयों के पेट भरकर कई करोंड़ों के भूखंड का श्रीखंड खाया है। क्या पता उस नेता को पता भी हैं कि नहीं?
वहीं कई जगहों पर अपनी इमारतें बनाकर नकली सी.डी. चढ़ाकर लोगों को फंसाकर बेच चुका है। यही नहीं इस नटवरलाल ने खुद के नाम ना कोई पेपर बनाया है और ना कोई सबूत छोड़ा है। मगर अब उसका काला चिठ्ठा खुलने वाला है। आज नहीं तो कल वह जो पूर्व मंत्री की धौंस दिखाकर श्रीखंड खाता है अब वह जेल की रोटी भी खाएगा। फिलहाल इस बार उसने जो झोलझाल दूसरों के नाम से किया है, उसमें 9 लोगों का नाम शामिल है। जिलाअधिकारी कल्याणकर के आदेश में जिन 9 लोगों का नाम है, वहीं राजेश दुदानी, मुकेश दुदानी, चंदा चावला ने जिस 15000 फीट भूखंड पर अपना कब्जा जमाने की कोशिश की है वो भूखंड ही इस महाघोटाले के खुलासे का जड़ बना है। इन 9 लोगों में वलेचा नामक बाप-बेटे, मोहनदास मुलजानी, कटारिया, केसवानी सहित 9 लोगों का नाम उजागर हुआ है। अभी तक पुलिस में मामला दर्ज नहीं हुआ है। मामला दर्ज होने पर और भी कई महारथियों के नाम इस मामले से जुड़ेगा और हजारों-करोड़ों के भूखंड घोटाले का पर्दाफाश होगा। फिलहाल इस कार्रवाई के डर से कई भूमाफिया अंडरग्राउंड हो गए हैं। मामला जो भी हो, जैसा भी हो वह पता नहीं कब खुलेगा? इसी बीच नकली सी.डी. पर बनी इमारतों में रहनेवाले लोगों का क्या होगा? क्या एक बार फिर सिंधी समुदाय के लोगों को 1947 की तरह बेघर होना पड़ेगा? क्या महाराष्ट्र सरकार इस मामले की जांच गंभीरता से करेगी? क्या देवेंद्र फड़णवीस सरकार उस पूर्व मंत्री के नाम हुए घोटाले की जांच निष्पक्ष करा पाएगी? ऐसा सवाल आज हर जगह से खड़ा हो रहा है।