दूध के पैकेट से भी हल्की पर अब हेल्दी! पुणे में हुआ 6 महीने की बच्ची का जन्म, वजन महज 400 ग्राम

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महाराष्ट्र के पुणे में एक बच्ची ने अपने पैदा होते ही दुनिया में एक नया रिकॉर्ड बना दिया है. डॉक्टरों ने भारत में जन्मी इस बच्ची को सबसे कम उम्र, सबसे हल्की और छोटी बच्ची के रूप में वर्णित किया है. यह बच्ची महज 24 सप्ताह यानी कि छह महीने में ही इस दुनिया में आईं. तमाम मुश्किलों के बाद बच्ची सरवाइव कर गई. इसी के साथ उसने सबसे कम उम्र और सबसे कम वजन के तौर पर रिकॉर्ड भी बना दिया है. डॉक्टर भी हैरान हैं. यह बच्ची पुणे के वाकड की है.


24 सप्ताह या छह महीने में जन्मी इस बच्ची का वजन महज 400 ग्राम था. यानी कि बच्ची का वजन एक मानक दूध के पाउच से भी हल्का था. बच्ची को देखकर डॉक्टर्स भी हैरान हुए. इसके बाद डॉक्टर्स की टीम ने उसे बचाने के प्रयास शुरू किए. डॉक्टर्स अपने प्रयासों में सफल हुए और आखिर शिवन्या नाम की यह बच्ची सरवाइव कर गई.डॉक्टरों ने बच्ची को भारत में जन्मी सबसे कम उम्र, सबसे हल्की और छोटी बच्ची के रूप में वर्णित किया है. यह बच्ची पुणे के वाकड की है.


ऐसे बच्चों के जिंदा रहने की होती है बेहद कम उम्मीद

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले साल 21 मई 2022 को जन्मी शिवन्या को 94 दिनों की गहन देखभाल के बाद 23 अगस्त को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई थी. जब उसे घर भेजा गया तो उसका वजन 2,130 ग्राम था. डॉक्टर्स के अनुसार ऐसे बच्चों में जीवित रहने की दर 0.5% जितनी कम होती है. गर्भावस्था के सामान्य 37-40 सप्ताह के बाद पैदा होने वाले शिशुओं का वजन न्यूनतम 2,500 ग्राम होता है.


भारत का पहला मामला, बच्ची के जन्म के बाद भी जीवित रहने का रिकॉर्ड दर्ज

शिवन्या के पिता ने बताया, ‘वह अब किसी भी अन्य स्वस्थ नवजात शिशु की तरह ही है. उसका वजन 4.5 किलोग्राम है और वह ठीक से खाना भी खाती है.’ विशेषज्ञों ने कहा, शिवन्या का अच्छा स्वास्थ्य उसके डॉक्टरों के प्रयासों का नतीजा है. बच्ची के नाम पर भारत में कम वजन के साथ जन्म के बाद भी जीवित रहने का रिकॉर्ड दर्ज है. डॉक्टर्स ने बताया कि जब हम गर्भावस्था की अवधि और जन्म के वजन को जोड़ते हैं तो शिवन्या सबसे नन्ही बच्ची है. भारत में इससे पहले इस तरह के एक अत्यंत अपरिपक्व जीवित रहने का कोई मामला दर्ज नहीं किया गया है.


यह कैसे हुआ और क्या रहे कारण

पुणे के नियोनेटोलॉजिस्ट डॉ सचिन शाह ने कहा कि बच्ची का समयपूर्व जन्म उसकी मां में जन्मजात असामान्यता का परिणाम था, जिसे डबल यूटेरस (बाइकोर्नुएट) कहा जाता है. यह तब होता है जब एक महिला के गर्भ में दो अलग-अलग पाउच होते हैं और दोनों में से एक पाउच दूसरे से छोटा होता है. एक भ्रूण के रूप में, शिवन्या छोटे में पली-बढ़ी, जिससे उसका जन्म सिर्फ 24 सप्ताह में हुआ


400 ग्राम के नवजात को बचाना डॉक्टस के लिए था बड़ा चैलेंज

विशेषज्ञों के अनुसार माइक्रो प्रीमाइस या समय से पहले पैदा हुए बच्चे विशेष रूप से जिनका वजन 750 ग्राम से कम होता है, वे बेहद नाजुक होते हैं और उनकी देखभाल मां के गर्भ जैसे वातावरण और सावधानी से किया जाता है. यह बच्ची तो महज 400 ग्राम की थी. डॉक्टरों के लिए बच्ची को बचाना बहुत बड़ी चुनौती थी, लेकिन अथक प्रयासों से वे नवजात को बचाने में सफल हुए. परिजनों के अनुसार, शिवन्या अब बिल्कुल स्वस्थ है और अच्छे से जी रही है.

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