Maharashtra: रुतुजा लटके का इस्तीफा स्वीकार करने में हो रही देरी, फडणवीस बोले- बीएमसी प्रशासन तय करेगा

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उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने बुधवार को कहा कि अंधेरी पूर्व विधानसभा उपचुनाव के लिए उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाले धड़े की उम्मीदवार रुतुजा लटके के इस्तीफे को स्वीकार करने में हो रही कथित देरी में महाराष्ट्र सरकार की कोई भूमिका नहीं है। 


इससे पहले 'शिवसेना उद्धव बालासाहेब ठाकरे' पार्टी के नेता अनिल परब ने आरोप लगाया था कि रुतुजा लटके पर मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले धड़े 'बालासाहेबंची शिवसेना' द्वारा दबाव डाला जा रहा है। 


दरअसल, यह सवाल बना हुआ है कि रुतुजा लटके अपना नामांकन दाखिल कर पाएंगी या नहीं। रुतुजा बीएमसी के ईस्ट वार्ड में बतौर लिपिक कार्यरत हैं। उपचुनाव को देखते हुए एक महीने पहले उन्होंने अपना इस्तीफा दे दिया था। लेकिन बीएमसी ने तकनीकी खाका हवाला देत हुए इसे स्वीकार नहीं किया। इस मामले में उद्धव ठाकरे वाले धड़े ने बीएमसी के खिलाफ बॉम्बे हाईकोर्ट का रुख किया है, जिसपर कल यानि गुरुवार को सुनवाई होनी है। 


इस बीच, फडणवीस ने संवाददाताओं से कहा, बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) स्वशासी और स्वायत्त निकाय है। लटके का इस्तीफा स्वीकार करना है या नहीं, यह बीएमसी प्रशासन तय करेगा। इस्तीफा स्वीकार करने में कथित देरी से महाराष्ट्र सरकार का कोई लेना-देना नहीं है। 


भाजपा नेता ने कहा कि बीएमसी कर्मचारी के किसी भी इस्तीफे को स्वीकार करने से पहले कुछ नियमों का पालन किया जाना चाहिए। इसपर हमें कुछ नहीं कहना है। रुतुजा लटके के पति और मौजूदा विधायक रमेश लटके के निधन के बाद से ही यह सीट खाली है। एकनाथ शिंदे की सरकार में भाजपा प्रमुख सहयोगी पार्टी है।


शिंदे गुट ने की 'फर्जी' हलफनामों की जांच की मांग

वहीं दूसरी ओर, शिंधे के नेतृत्व वाली 'बालासाहेबंची शिवसेना' पार्टी ने बुधवार को ठाकरे के नेतृत्व वाले धड़े को समर्थन देने वाले कथित फर्जी हलफनामों की सीआईडी या सीबीआई जांच की मांग की। 


मुंबई पुलिस ने हाल ही में ठाकरे के नेतृत्व वाले गुट के समर्थन के लिए तैयार किए जा रहे 4500 से ज्यादा हलफनामे बरामद किए। इसके बाद धोखाधड़ी और जालसाली के आरोप में अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी। 


शिंदे गुट के प्रवक्ता नरेश म्हस्के ने आरोप लगाया कि राज्य के अन्य जिलों में भी इसी तरह के फर्जी हलफनामे तैयार किए गए हैं। उन्होंने कहा कि इन हलफनामों में धोखाधड़ी की जांच राज्य की सीआईडी या सीबीआई को सौंपी जानी चाहिए व एक एसाआईटी का गठन किया जाना चाहिए। प्रवक्ता ने आरोप लगाया कि इन फर्जी हलफनामों को तैयार करने के लिए दस करोड़ का कॉन्ट्रैक्ट दिया गया था। 


उन्होंने यह भी दावा किया कि चुनाव आयोग को ऐसे कई हलफनामे सौंपे गए हैं, जिनकी जांच किए जाने की जरूरत है। 

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