
मुंबई। डोंबिवली के पलावा सिटी के बंद गोडाउन में हाइड्रोपोनिक कैनेबी की खेती किए जाने का खुलासा मुंबई नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी ) ने किया है इस फैक्ट्री को सील करते हुए संदेह जताई है कि इस कैनेबी को उगाने के लिए बाकायदा बीज अमेरिका से पार्सल के जरिये मंगवाया जाता था। एनसीबी ने जावेद शेख और अरशद खत्री को गिरफ्तार किया है जोनल डायरेक्टर समीर वानखेड़े ने बताया कि जानकारी मिली थी कि वर्सोवा इलाके में हाइड्रोपोनिक कैनेबी बेची जाती है इसी जानकारी के आधार पर गुरुवार को वर्सोवा में एनसीबी ने छापा मारकर जावेद शेख और अरशद खत्री को हिरासत में लिया गया। जब उनसे पूछा कि यह ड्रग्स कहां से आता है तो उन्होंने जवाब दिया कि वो कहीं से मंगवाते नहीं, बल्कि खुद ही खेती करते हैं जिसके बाद एनसीबी ने दोनों को उनकी फैक्ट्री यानी कि डोम्बिवली पलावा सिटी में स्थित 2 बीएचके अपार्टमेंट पर ले गए और छापेमारी की पर एनसीबी को वहां कोई दूसरा आरोपी नही मिला। डार्क नेट के माध्यम से बीज एम्सटर्डम और नीदरलैंड से मंगाते पूछताछ के दौरान दोनों आरोपियों ने बताया कि वे लोग कैनेबी की खेती करने के लिए डार्क नेट का इस्तेमाल कर उसका बीज एम्सटर्डम और नीदरलैंड से मंगवाते थे|उन्हें एक बीज के लिए 10 से 15 डॉलर का खर्चा आता था. वहीं अगर ब्लैक मार्केट से इन बीजों को खरीदा जाए तो उसकी कीमत 15 हजार रुपये प्रति बीज चुकानी पड़ती थी |इस डीलिंग के लिए गिरफ्तार आरोपी क्रिप्टोकरन्सी यानी कि बिटकॉइन का इस्तेमाल करते थे|ये आरोपी मुंबई में ड्रग्स बेचने के लिये स्नैपचैट और व्हाट्सअप का इस्तेमाल करते थेफ़्लैट में 24 घंटे चालु रहता था एसी जांच में यह भी पता चला कि आरोपियों ने बाकायदा स्लॉट बनाये थे और हर स्लॉट में एक बीज डाला जाता था इसकी खेती पानी में की जाती थी, जिसके लिए वहां का वातावरण पूरा ठंडा रखना होता था इस वजह से उस फ्लैट में 24 घंटे एयरकंडीशन चालू रखना पड़ता था, ताकि वातावरण ठंडा रहे। आरोपियों ने फ्लैट की खिड़कियों पर काला रंग लगाया था, ताकि सूरज की रोशनी घर में ना आये। इसके बाद फोटोसिंथेसिस लाइट के जरिये उन बीज को रौशनी दी जाती थी, साथ ही वहां पर सीओ2 का भी इस्तेमाल किया जाता था. इस तरह से एक बीज को पौधा बनने में 4 से 5 महीने तक का समय लगता था। एनसीबी को उस फ्लैट से कल्टीवेशन सेटअप, पीएच रेगुलेटर, प्लांट न्यूट्रिएंट्स, क्ले पेबल्स, वाटर पम्प, एयर सर्कुलेशन सिस्टम, सीओ2 गैस सिलिंडर, और फोटोसिंथेसिस लाइट सिस्टम मिले हैं, जिसका इस्तेमाल उन प्लांट्स को उगाने में किया जाता थे. पूछताछ के दौरान एनसीबी को पता चला वह फ्लैट रेहान खान नाम के एक शख्स के नाम पर है इस पूरे बिजनेज में जावेद, अरशद और रेहान तीनों ही पार्टनर हैं जांच के दौरान यह भी पता चला कि रेहान फिलहाल सउदी अरब में है और इस पूरे ड्रग्स सिंडिकेट को वही स्पॉन्सर करता है और इस पूरे मुनाफे का ज्यादा हिस्सा वह लेता है