IRON LADY ज्योति पप्पू कालानी की अंतिम यात्रा में उमड़ा जनसैलाब

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उल्हासनगर- पूरा उल्हासनगर उस समय ग़मगीन हो गया जब उल्हासनगर की पूर्व नगराध्यक्षा, पूर्व महापौर, पूर्व स्थाई समिति की सभापति, पूर्व विधायक ज्योति पप्पू कालानी को लोगों ने नम आंखों से अंतिम विदाई दी। भाभी ज्योति पप्पू कालानी की अंतिम यात्रा में जनसैलाब उमड़ा। जुबां पर 'जब तक सूरज चांद रहे भाभी ज्योति कालानी अमर रहे' के नारों के साथ उल्हासनगरवासियों ने उन्हें अंतिम विदाई दी। शहर के कालानी महल से शुरू हुई अंतिम यात्रा में शहर के बड़े उद्योगपति के साथ साथ राज्य के कई दिग्गज राजनेता शामिल हुए।







आपको बता दें कि ज्योति पप्पू कालानी का कार्यकाल काफी संघर्षपूर्ण रहा है। १२ नवंबर १९९२ को जब पूर्व विधायक पप्पू कालानी की गिरफ़्तारी हुई तब तत्कालीन मुख्यमंत्री सुधाकर नाईक ने उस वक्त उल्हासनगर नगरपालिका को बर्खास्त कर दिया. कुछ समय पश्चात जब नगरपालिका के चुनाव की घोषणा हुई तब ज्योति कालानी ने मोर्चा संभाला और शहर में अलग तरीके से उल्हास पीपुल्स पार्टी (यूपीपी) की स्थापना कर उसके बैनर तले चुनाव मैदान में उतरी। इस चुनाव में ज्योति कालानी को पूर्ण बहुमत मिला। उसके बाद पप्पू कालानी के बाद ज्योति कालानी को दूसरी नगराध्यक्ष बनने का गौरव प्राप्त हुआ. कुछ दिन बाद तत्कालीन राज्य सरकार ने उल्हासनगर नगरपालिका को एक बार पुनः बर्खास्त कर दिया. फिर नगरपालिका से बदलकर महानगरपालिका में तब्दील कर दिया. मगर ज्योति कालानी ने अपना राजनीतिक संघर्ष जारी रखा। ज्योति कालानी ने जबरदस्त राजनीतिक संघर्ष किया १९९५ में हुए मनपा चुनाव में. लेकिन उस वक्त भाजपा-शिवसेना ने निर्दलीयों की मदद से महानगरपालिका में अपना महापौर बना दिया और ज्योति कालानी को विपक्ष की भूमिका में आना पड़ा. इसके बाद भी ज्योति कालानी राजनीतिक संघर्ष जारी रखा. लगातार वो सत्ता में उन्ह आने के लिए संघर्ष करती रही. पप्पू कालानी की रिहाई के बाद जब मनपा चुनाव हुए तब ऐतिहासिक जीत हासिल करते हुए मनपा की पूर्ण बहुमत वाली सत्ता पर काबिज होते हुए वो महापौर बनी. राजनीति के अंदर जिस प्रकार से संघर्ष करते हुए ज्योति कालानी ने राजनीति की और पप्पू कालानी को जेल में रहते हुए भी दो बार उन्हें विधायक चुनवाने में अपनी अहम भूमिका अदा की ये ज्योति कालानी ही थी जिन्होंने असंभव काम करके दिखाया. इसके पश्चात ज्योति कालानी स्वयं विधानसभा चुनाव में चुनावी मैदान में उतरी और उल्हासनगर की विधायक बनी. लेकिन दूसरी बार हुए विधानसभा चुनाव में काफी कम वोटों से वो अपने विरोधी कुमार आयलानी से चुनाव हार गई. बहरहाल अपने राजनीतिक जीवन में उतार चढाव का ज्योति कालानी ने डटकर मुकाबला किया. कभी वो हारी नहीं और उन्होंने अपनी सत्ता और अपनी पार्टी तथा पप्पू कालानी के समर्थकों को एकजुट बनाये रखने के लिए अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा की. आज वही ज्योति कालानी जब अनंत की ओर प्रस्थान कर चुकी हैं तो हर उल्हासनगरवासी का दिल रो रहा है। क्योंकि आज उनका नेता नहीं रहा। वो महिला नेता जो हमेशा उनके सुख दुःख की हिस्सेदार थी और जिसे उल्हासनगरवासी भाभी कहा करते थे। अलविदा भाभी ज्योति कालानी।
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