10 बच्चों की मौत का जिम्मेदार कौन?:भंडारा के अस्पताल में न आग बुझाने के यंत्र थे न बचकर निकलने का रास्ता; अफसर से मिनिस्टर तक सबको पता था, पर टालते रहे

hindmata mirror
0

 

इस वार्ड में भयंकर धुंए और आग की वजह से 2 बच्चे झुलसे और 8 ने धुंए के कारण दम तोड़ा।

शनिवार को महाराष्ट्र के भंडारा डिस्ट्रिक्ट जनरल अस्पताल में हुई एक दर्दनाक घटना में 1 दिन से 3 महीने तक के 10 मासूम बच्चों की मौत हुई है। जिलाधिकारी संदीप कदम ने बताया कि रात को तकरीबन 1:30 से 2:00 के बीच सिक न्यूबोर्न केयर यूनिट में यह आग लगी थी। इसमें 10 बच्चों की मृत्यु हुई है और हम 7 लोगों की जान बचाने में कामयाब रहे हैं। इस मामले की डिटेल जांच के आदेश दे दिए गए हैं।

इस मामले को लेकर RTI में एक बड़ा खुलासा हुआ है। भंडारा के आरटीआई एक्टिविस्ट और भाजपा कार्यकर्ता विकास मदनकर ने साल 2018 में ही यह खुलासा किया था कि हॉस्पिटल में कोई भी अग्निशमन यंत्र या फायर सेफ्टी के उपकरण हैं। विकास ने RTI जितने भी सवाल पूछे थे उनका जवाब 'नहीं' में दिया गया। उनका कहना है कि अगर 2018 की उस 'नहीं' को 'हां' में बदल दिया जाता तो आज यह बड़ी घटना होने से बच सकती थी।

RTI की इसलिए पड़ी जरूरत
मदनकर ने बताया,' साल 2018 में उत्तर प्रदेश के एक हॉस्पिटल में भीषण आग लगी थी, जिसके बाद मेरे दिमाग में आया कि क्यों न अपने जिले के हॉस्पिटल्स में फायर सेफ्टी को लेकर जानकारी हासिल की जाए। इसी कड़ी में मैंने साल 2018 के शुरुआत में एक RTI दायर कर यहां लगे फायर उपकरणों की जानकारी मांगी थी।'

हॉस्पिटल के आउट बोर्न विभाग में भर्ती 10 बच्चों की मौत हुई है।
हॉस्पिटल के आउट बोर्न विभाग में भर्ती 10 बच्चों की मौत हुई है।

पूर्व ऊर्जा मंत्री को भी दी थी इसकी जानकारी
मदनकर ने आगे बताया,'6 महीने बाद RTI का जवाब आया, जिसमें यह खुलासा हुआ कि हॉस्पिटल के पास कोई भी आग बुझाने की सुविधा नहीं है। इस गंभीर लापरवाही का पता चलने के बाद मैंने महाराष्ट्र फडणवीस सरकार में ऊर्जा मंत्री रहे चंद्रशेखर बावनकुले से मुलाकात की थी और उनसे इसपर कार्रवाई करने को कहा था। उन्होंने मुझे वादा किया था कि वे जल्द ही इस संबंध में सीएम से बात करके उचित निर्णय लेंगे। हालांकि, इसके कुछ दिनों बाद राज्य में चुनाव आ गए और सत्ता का परिवर्तन हो गया।'

मदनकर ने आगे बताया,'आग लगने की स्थिति में सुरक्षा उपकरणों की मौजूदगी पर उठे इन सवालों को उन्होंने जिलाधिकारी तक भी पहुंचाया था, लेकिन किसी ने उनकी सुध नहीं ली और आज यह बड़ा हादसा हो गया।

मदनकर द्वारा RTI में पूछे सवाल और उसका जवाब

RTI के सवालप्रशासन की ओर से दिए जवाब
फायर सेफ्टी हाइड्रेंटहॉस्पिटल में उपलब्ध नहीं
फायर सेफ्टी स्प्रिंकलर सिस्टमहॉस्पिटल में उपलब्ध नहीं
स्मोक अलार्महॉस्पिटल में उपलब्ध नहीं
आग बुझाने के लिए पानी का स्टॉकनीचे 90 हजार और ऊपर 2.5 लाख लीटर की पानी की टंकी।
फायर एक्सटिंग्युशरहॉस्पिटल में उपलब्ध नहीं
450 बेड के इस अस्पताल में अगर आग लगती है, तो हॉस्पिटल काबू करने के लिए क्या प्रयास करेगी?हम आग लगने की स्थिति में नगर निगम की ओर से भेजे जाने वाली फायर ब्रिगेड की गाड़ियों का इस्तेमाल करेंगे।
फायर EXCAPE रूट या फायर LEDDERहॉस्पिटल में उपलब्ध नहीं

आरटीआई से मिली इस जानकारी से यह साफ साबित होता है कि हॉस्पिटल में कोई भी अग्निशमन यंत्र मौजूद नहीं था। आग लगने की स्थिति में सिर्फ दमकल की गाड़ियों का ही भरोसा था। बाहर निकलने के लिए भी कोई एस्केप रूट नहीं था।

मृतक के परिजनों को मिलेगा 5-5 लाख का मुआवजा
इस घटना पर टिप्पणी करते हुए, महाराष्ट्र के स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे ने आज कहा कि भंडारा के जिला अस्पताल में आग लगने से दस में से कम से कम तीन शिशुओं की जलने से मौत हो गई, जबकि सात अन्य लोगों की मौत शनिवार को धुएं के कारण हुई। उन्होंने कहा कि प्रत्येक मृतक शिशु के परिवार के सदस्यों को 5 लाख रुपये का भुगतान किया जाएगा।

टोपे ने एक वीडियो संदेश में कहा, "उपलब्ध प्रारंभिक सूचना में संकेत दिया गया है कि भंडारा जिला नागरिक अस्पताल में तीन शिशुओं की जलने से मौत हो गई, जबकि धुएं के कारण दम घुटना सात अन्य शिशुओं की मौत का कारण है।"

शवों का नहीं होगा पोस्टमार्टम
उन्होंने कहा कि अस्पताल के कर्मचारियों ने प्रभावित नवजात गहन चिकित्सा इकाई में भर्ती सात अन्य शिशुओं को बचाया।
टोपे ने कहा,"मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने मुझे मृतक शिशुओं के परिवार के सदस्यों को प्रत्येक को पांच लाख रुपये देने की सूचना दी।" उन्होंने कहा कि शवों का पोस्टमार्टम नहीं होगा और उन्हें अंतिम संस्कार के लिए उनके घरों में भेज दिया गया है।

NCPCR ने महाराष्ट्र अस्पताल में लगी आग पर कार्रवाई
अपेक्स चाइल्ड राइट्स बॉडी (NCPCR) ने शनिवार को महाराष्ट्र के भंडारा के जिला कलेक्टर को एक अस्पताल में आग लगने से 10 नवजात शिशुओं की मौत के 48 घंटे के भीतर एक तथ्यात्मक कार्रवाई करने के लिए कहा। NCPCR ने जिला कलेक्टर को लिखे पत्र में कहा है, "आपसे अनुरोध है कि इस मामले की जांच करवाएं और इस पत्र की प्राप्ति से 48 घंटे के भीतर सभी आवश्यक दस्तावेजों के साथ आयोग को एक तथ्यात्मक कार्रवाई करने के लिए रिपोर्ट भेजें।"

Tags

Post a Comment

0Comments
Post a Comment (0)
6/grid1/Featured